लेखनी कहानी -27-Mar-2024
दिनांक- 27,03,2024 दिवस- बुधवार प्रदत्त विषय- जीवन यात्रा (कविता) प्रतियोगिता हेतु
जीवन को यात्रा सम समझें, इसमें हंँसी- ख़ुशी ले आना तुम। सुख- दुख दो पड़ाव मिलेंगे, समभाव से इसको पाना तुम।
मिलना-बिछड़ना लगा रहेगा, ना इससे न घबराना तुम। ईष्ट जनों को कर प्रणाम, इसको सुखद बनाना तुम।
जिस धरा पर तुमने जन्म लिया, उसका क़र्ज़ चुकाना तुम। ऋषि, देव, पितृ ऋण से भी, साथ में मुक्ति पाना तुम।
मिलते-मिलते छुट जाए मंज़िल, ना अश्रु कलश बरसाना तुम, नया जोश, नव उमंग ले पुनः उसे पा जाना तुम।
बढ़ना है जीवन में आगे, गिरने से ना घबराना तुम। पिछड़ गए तो ग़म ना करना, मुश्किल को सहज बनाना तुम।
जीवन को बस जीते जाना, कभी इसको ना उलझाना तुम। सुंदर सपनों में तुम खोना, कलमष्ता को नहीं रमाना तुम।
समय के संग-संग आगे बढ़कर, खुशियों को गले लगाना तुम। हंँसी- खुशी का कर लो स्वागत, भौतिकता में ना खो जाना तुम।
अंतर्तम को तुम चमकाना, सूरत पर नहीं लुभाना तुम। चांँद- तारों की चाहत है तो, परिश्रम से ना घबराना तुम।
जीवन एक यात्रा है मित्रों, इसका आनंद पाना तुम। भोग-विलास में ख़ुद को रमाके, गंतव्य को नहीं भूलाना तुम।
परिणामों को छोड़ प्रभु पर, निर्मल आज बनाना तुम। सोना- चांँदी रूपये पैसे में, ना ख़ुद को उलझाना तुम।
हिय मध्य जो सदा विराजे, उसको नहीं भुलाना तुम। जीवन एक यात्रा है राही, सच्ची संतुष्टि पाना तुम ।
इस यात्रा के आनंद की, अनुभूति सभी को बताना तुम। काम, क्रोध, मद,लोभ को तजकर, सच्चा शूरवीर बन जाना तुम।
साधना शाही, वाराणसी
Shnaya
11-Apr-2024 05:05 PM
V nice
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Gunjan Kamal
10-Apr-2024 02:08 PM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
29-Mar-2024 11:48 PM
Nice
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